Wednesday, September 7, 2011

चांद के साथ कई दर्द पुराने निकले


चांद के साथ कई दर्द पुराने निकले,
कितने गम थे जो तेरे गम के बहाने निकले,

फ़सल-ए-गुल आई फ़िर एक बार असीनाने-वफ़ा,
अपने ही खून के दरिया में नहाने निकले,

दिल ने एक ईंट से तामीर किया हसीं ताजमहल,
तुने एक बात कही लाख फसाने निकले,

तामीर = plan

दश्त-ए-तन्हाई ये हिजरा में खडा सोचता हुँ,
हाय क्या लोग मेरा साथ निभाने निकले,


Lyrics: Amjad Islam Amjad

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