चांद के साथ कई दर्द पुराने निकले,
कितने गम थे जो तेरे गम के बहाने निकले,
फ़सल-ए-गुल आई फ़िर एक बार असीनाने-वफ़ा,
अपने ही खून के दरिया में नहाने निकले,
दिल ने एक ईंट से तामीर किया हसीं ताजमहल,
तुने एक बात कही लाख फसाने निकले,
तामीर = plan
दश्त-ए-तन्हाई ये हिजरा में खडा सोचता हुँ,
हाय क्या लोग मेरा साथ निभाने निकले,
Lyrics: Amjad Islam Amjad
No comments:
Post a Comment